Reported by: Yashwant Maurya
Edited by: Adrash Tripathi
Updated: 13 December, 2024 (Friday, 10:58am)IST
गोरखपुर: नगर निगम कार्यकारिणी समिति की 7वीं बैठक गुरुवार को महापौर डॉ मंगलेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई। बैठक में अपने वार्डो में पार्षद वरीयता से विकास कार्यों में रुचि नहीं लेने वाले 37 पार्षदों की पार्षद वरीयता के लैप्स होने की तलवार लटक गई। इसके साथ ही 2024-25 के पार्षद वरीयता की 21-21 लाख रुपये की तीसरी और अंतिम किस्त जारी करने पर निर्णय हुआ। कार्य समिति की बैठक में निर्णय हुआ कि जो पार्षद अभी तक दूसरी किस्त के 15 लाख रुपये के लिए कार्यों का प्रस्ताव नहीं दे सकें वे जल्द अपना प्रस्ताव दे दें। ऐसे नहीं करने पर किस्त लैप्स हो जाएगी और अगले वित्तीय वर्ष में इसे जोड़कर नहीं दिया जाएगा। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने स्पष्ट किया कि नगर निगम के 80 वार्ड में से 37 ऐसे वार्ड हैं जहां के पार्षद अभी तक दूसरी किस्त के लिए कार्यों का प्रस्ताव नहीं दे सके हैं। नगर निगम प्रत्येक वित्तीय वर्ष में सभी पार्षद को पार्षद वरीयता के 51 लाख रुपये देता है। 15-15 लाख रुपये की पहली और दूसरी किस्त मिलती है जबकि 21 लाख रुपये की तीसरी किस्त मिलती है।
व्यापारियों के किराया बढ़ोत्तरी के विरोध के बीच कार्यसमिति में सख्त निर्णय हुआ है। नगर निगम की दुकानों का बढ़ा हुआ किराया दिसंबर तक नहीं जमा करने वालों की दुकाने जनवरी में निरस्त कर दी जाएंगी। निरस्त दुकानों का नए सिरे से इनका आवंटन होगा। निगम की करीब 2077 दुकानें हैं। नगर आयुक्त के मुताबिक 25 वर्षों से किराया नहीं बढ़ा था। बोर्ड की अनुमति से सर्वे कर नए सिरे से किराए का निर्धारण किया गया है लेकिन, 800 दुकानदारों ने ही बढ़ा हुआ किराया जमा किया।
कार्यकारिणी में तय हुआ कि 1277 दुकानदार यदि 31 दिसंबर तक किराया नहीं जमा करेंगे तो अगले जनवरी में उनका आवंटन निरस्त कर दुकानें दूसरों को आवंटित कर दी जाएंगी।
जलकल की की 40 दुकानें होगी आवंटित:-
जलकल कम्पाउण्ड गोलघर स्थित मल्टीलेवल पार्किंग सह शापिंग काम्प्लेक्स में 40 दुकानों को आवंटित करने के लिए भी कार्यकारिणी ने मंजूरी दे दी। शुक्रवार को इसके लिए विज्ञापन जारी करने की तैयारी है।
841.74 करोड़ के आय और 970.74 करोड़ व्यय के बजट को मंजूरी:-
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि कार्यकारिणी की बैठक में नगर निगम के वित्तीय वर्ष 2024-25 के पुनरीक्षित बजट को सर्वसम्मति से स्वीकृति मिल गई। इसमें निगम की आय 841.74 करोड़ रुपये और अनुमानित व्यय 970.74 करोड़ रुपये हैं। इसी तरह शीतलहर को देखते हुए 05 हजार और कंबल की खरीद को भी बैठक में मंजूरी मिली है। हालांकि डेढ़ माह पूर्व सदन की हुई बैठक में 10 हजार कंबल खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ था।
और अब नामांतरण कराना मंहगा होगा:-
मंहगाई की मार झेल रही जनता पर नगर निगम ने भी स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने का हवाला देते हुए नामांतरण शुल्क मंहगा करने का निर्णय लिया है। नगर निगम सीमा पहले 20 लाख रुपये से ऊपर की संपत्ति के नामांतरण पर नगर निगम 5000 रुपये शुल्क लेता था जिसे अब बढ़ाकर 10000 रुपये कर दिया है। इसके अतिरिक्त नामांतरण के सभी मामले अब आफलाइन नहीं बल्कि अब आनलाइन होंगे। नामांतरण के सभी आवेदन ई-नागर वेबसाइट के माध्यम से स्वीकृत किए जाएंगे। तर्क है कि आनलाइन होने से अनावश्यक होने वाले बिलम्ब से बचाव होगा। निगरानी आसान होगी।
पार्षद ने पूछा, जेई-एई के निलंबन पर कब होगा एक्शन:-
वार्ड नंबर 16 दिग्विजयनगर के पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने एक ही सड़क के दो बार टेंडर और रात में ही सड़क को उखाड़ देने के मामले में नगर आयुक्त की कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया। कहा कि नगर आयुक्त के निर्देश पर मुख्य अभियंता की जांच में अवर अभियंता राजकुमार, विवेकानंद, सहायक अभियंता शैलेष कुमार और अधिशासी अभियंता अमरनाथ दोषी पाए गए। नगर आयुक्त ने शासन को पत्र लिखकर अवर अभियंता राजकुमार व सहायक अभियंता शैलेष कुमार के निलंबन, अवर अभियंता विवेकानंद को प्रतिकूल प्रविष्टि और अधिशासी अभियंता की परिनिंदा की संस्तुति की। एक महीने से अधिक समय बीत गया लेकिन शासन से न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही निगम ने कोई रिमाइंडर दिया। उन्हीं अभियंताओं से काम लिया जा रहा, दूसरी ओर जिम्मेदार ठेकेदार से सड़क भी बनवा दी गई। नगर आयुक्त ने सफाई दी कि शासन में रिमाइंडर भेज अनुरोध किया जाएगा।