एनसीआरटी को समिति ने भेजा सिफारिश, अब बच्चे इण्डिया नहीं, भारत पढ़ेंगे


Reported by: Up Times Live Team

G20 के दौरान शुरू हुई चर्चा
एनसीईआरटी पैनल की सिफारिश ऐसे वक्त की गई है, जब सियासी हलको में इंडिया नाम बदलकर भारत रखने पर राजनीतिक चर्चाएं जोरों पर हैं। *यह सुगबुगाहट बीते माह सितंबर में तब शुरू हुई जब G20 के आयोजन के दौरान भारत की राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया था।*

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्च स्तरीय समिति ने स्कूली किताबों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। हालांकि, एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा, समिति की सिफारिशों पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।

सूत्रों ने दावा किया है कि किताबों में आवश्यक परिवर्तनों को लेकर बने पैनल के प्रस्ताव को एनसीईआरटी ने मंजूरी दे दी है। पैनल के सदस्यों में शामिल सी.आई. आइजक के हवाले से कहा गया है कि यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले ही रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।

उधर, एनसीईआरटी ने कहा है कि वह नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक विकास की प्रक्रिया में लगा है। इसके लिए संबंधित विषय विशेषज्ञों के विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र समूहों को अधिसूचित किया जा रहा है। अत, संबंधित मुद्दे पर चल रही मीडिया रिपोर्ट पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।

समिति के अध्यक्ष आइजक के अनुसार, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल के अलावा ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ शुरू करने, सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली शुरू करने की सिफारिश की।

हिंदू विजय गाथाओं पर जोर समिति ने पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न संघर्षों में ‘हिंदू विजय गाथाओं’ पर जोर देने के लिए भी कहा है। आइजक ने बताया कि पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख किया गया है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूली पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम संशोधित कर रहा है। परिषद ने हाल में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए विशेष समिति गठित की थी।
बदलाव के पीछे तर्क

बदलाव के पीछे तर्क:
समिति प्रमुख आइजक ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में बांटा। इसमें भारत को अंधकारमय, विज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ बताया गया। इसलिए कुछ बदलाव की सिफारिश की गई है।

समिति के अध्यक्ष आईसी आइजक ने कहा कि, हमने सर्वसम्मति से किताबों में भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। हजारों वर्ष पुराने विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारत का जिक्र है।

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