आईआरटीसी की बड़ी लापरवाही: 80 प्रतिशत कन्फर्म टिकट दलालों के हाथ, वेटिंग से यात्री परेशान 

Reported by: Yashwant Maurya 

Edited by: Adrash Tripathi 

Updated: 15 February 2025 (Saturday, 7:02pm)IST

गोरखपुर: टिकटों की बुकिंग शुरू होते ही महज 50 सेकेंड में 80 प्रतिशत कन्फर्म रेल टिकट दलालों के हाथ चले जा रहे। शेष 20 प्रतिशत टिकट ही आमजन के लिए बच रहे। उसके बाद वेटिंग टिकटों की मारामारी शुरू हो जा रही। त्योहारों और गर्मी की छुट्टियों में तो स्थिति और भयावह हो जा रही।

होली में एक बार फिर गोरखपुर ही नहीं दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में भी कन्फर्म टिकटों का टोटा पड़ गया है। रंगों का पर्व मनाने घर आने व वापस जाने वाले गोरखपुर, पूर्वांचल और बिहार के कामगार, नौकरीपेशा, व्यवसायी और छात्र अभी से परेशान हैं। लेकिन, कहीं के लिए किसी भी श्रेणी का कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा। होली अभी 14 मार्च को है, दिल्ली अभी से दूर हो गई है।

जानकारों का कहना है कि तत्काल ही नहीं जनरल आरक्षित टिकटों की बुकिंग शुरू होते ही सभी कन्फर्म टिकट पलक झपकते बुक हो जा रहे। टिकटों के अवैध कारोबारी व्यवस्था में पूरी तरह सेंध लगा चुके हैं। स्टेशनों के बाहर शहर, कस्बा और दूर-दराज गांवों में बैठे दलालों की पकड़ स्टेशन के अंदर तक पहुंच गई है।

स्टेशन के बाहर दुकानों में बैठे दलाल इन कैश, मोबिल एडिट, सीकैश नाम के अनधिकृत साफ्टवेयर के माध्यम से पलक झपकते कन्फर्म तत्काल हैक कर ले रहे। इसमें टिकट बुक करने वाले प्राइवेट और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) के एजेंट भी शामिल हैं।

एक से दो कन्फर्म टिकट बच रहे उसे दलाल रेलकर्मियों के सहयोग से काउंटरों से बुक कर ले रहे। वे रेलकर्मियों की मिलीभगत से रेलवे के काउंटरों से रैंडम नाम (किसी भी नाम से) से कन्फर्म टिकट बुक करा ले रहे। बदले में प्रति टिकट एक से पांच हजार रुपये वसूल रहे है।

स्टेशनों पर रात से लाइन में लगे यात्री हाथ मलते रह जा रहे हैं। रेलवे को तो पूरा किराया मिल जा रहा, लेकिन आम यात्री परेशान हो रहे। उन्हें कन्फर्म टिकट के नाम पर मनमाना किराया देना पड़ रहा।

सात फरवरी को ही पूर्वोत्तर रेलवे की विजिलेंस टीम ने घुघली स्टेशन पर छापेमारी कर आरक्षण केंद्र से टिकटों की दलाली का पर्दाफाश किया। स्टेशन अधीक्षक और आरक्षण लिपिक ही स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट और दलालाें से मिलकर टिकटों की कालाबाजारी कर रहे थे।

बिना किसी आवेदक की उपस्थिति के 11000 मूल्य का स्लीपर और एसी के तत्काल आरक्षण टिकट जारी किए गए थे। घुघली ही नहीं, तुलसीपुर, यूसुफपुर आदि स्टेशनों पर भी दलालों की पैठ का खुलासा हो चुका है। रेलवे बोर्ड दिल्ली की टीम गोरखपुर और बस्ती में भी छापेमारी कर चुकी है। इस दौरान अनियमितताएं भी पाई गईं, इसके बाद भी दलालों की सक्रियता कम होने का नाम नहीं ले रही। टिकटों का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है।

तत्काल के लिए आरक्षित होता है 40 प्रतिशत टिकट:-

ट्रेन के कुल आरक्षित टिकटों का करीब चालीस प्रतिशत तत्काल के लिए आरक्षित होता है। एसी टिकटों की बुकिंग रोजाना सुबह 10.00 से और स्लीपर क्लास के टिकटों की 11.00 से शुरू होती है। तत्काल टिकट का किराया सामान्य से डेढ़ गुना अधिक लगता है।

बुकिंग आरंभ होते ही सभी कन्फर्म टिकट दलाल बुक कर लेते हैं। 100 में शेष 60 प्रतिशत टिकट जनरल के लिए होता है, उसकी बुकिंग 60 दिन पहले शुरू होती है। लेकिन इसकी बुकिंग आरंभ होते ही करीब 40 प्रतिशत कन्फर्म टिकट दलाल हासिल कर लेते हैं। यानी, 80 प्रतिशत टिकट अवैध कारोबारियों के हाथ में जा रहा है।

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