Reported by: Adrash Tripathi
Edited by: Amit Yadav
महराजगंज: रेबीज से बचने के लिए सिर्फ कुत्ता, बिल्ली व बंदर तक ही सीमित नहीं रहिए। आपके घर में उछलकूद कर रहे चूहा के काटने पर भी रेबीज का शिकार हो सकते हैं। चूहा काटने पर तत्काल रेबीज का इंजेक्शन लगवा लें। वरना पूरी जिंदगी में कभी भी रेबीज परेशान कर सकता है। जिला अस्पताल में इस माह दो चूहा काटने वाले पीड़ित रेबीज का टीका लगवाने पहुंचे थे। विश्व रेबीज दिवस लुई पाश्चर की मृत्यु की वर्षगांठ पर हर वर्ष 28 सितंबर को मनाया जाता है। लुई पाश्चर ने अपने सहयोगियों के सहयोग से पहला प्रभावकारी रेबीज टीका विकसित किया था। दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को रेबीज के बारे में जागरूकता बढ़ाने और टीकाकरण के महत्व के बारे में जानकारी देना हैं। अधिकांश लोग यही जानते है कि कुत्ता, बंदर, बिल्ली, सियार, नेवला और बाघ के काटने पर ही रेबीज होता है। लेकिन आपके घर में पल रहा चूहा के काटने से भी आप रेबीज के शिकार हो सकते हैं। कारण कि इन जानवर के साथ चूहा भी रेबीज संक्रमित होता है।
रेबीज जीवन में कभी भी हो सकता है, रहें सावधान:-
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश रमन ने बताया कि रेबीज संक्रमित ये जानवर यदि काट लिया है तो रेबीज का इंजेक्शन तत्काल लेना चाहिए। समय-समय पर पीड़ित को अस्पताल को पहुंचकर रेबीज के सभी टीके लगवा लेना चाहिए। टीका नहीं लगवाने पर जीवन में कभी भी रेबीज का शिकार हो सकते हैं।
शनिवार को जिला अस्पताल में 32 लोगों ने लिया रेबीज का टीका:-
जिला अस्पताल के इंजेक्शन कक्ष में दो बजे तक 32 लोगों ने रेबीज का टीका लिया है। इसमें 30 पीड़ितों का दूसरा डोज और दो पीड़ितों ने पहला डोज लिया है। पुराने पीड़ितों में दो लोगों को चूहा ने काटा है।
इंजेक्शन कक्ष के फार्मासिस्ट शैलेश मिश्रा ने बताया कि पीड़ित को रेबीज का पांच डोज लेना जरूरी है। काटने के 24 घंटे के अंदर पहला, उसके तीन दिन बाद, चार दिन बाद, सात दिन बाद फिर 14 दिन बाद इंजेक्शन लेना होता है। इसमें पहला और अंतिम डोज समय से लेना बहुत जरूरी होता है।
जिला संयुक्त अस्पताल के सीएमएस डॉ. एपी भार्गव ने बताया कि, रेबीज इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में स्टाक है। हर रोज रेबीज इंजेक्शन लेने के लिए पीड़ितों की भीड़ हो रही है। पीड़ितों को समय से इंजेक्शन देने के लिए फार्मासिस्ट को निर्देशित किया गया है।